फिल्म “फैक्ट्री” को लेकर आमिर खान के भाई फैज़ल खान चर्चाओं में हैं। फैज़ल खान ने बताया कि आमिर खान ने उन्हें बुरा एक्टर कहा और दूसरे करियर ऑप्शन देखने का सुझाव दिया। यह अभी की नहीं तब की बात है जब वह फिल्म “मेला” में आमिर खान और ट्विंकल खन्ना के साथ नजर आए थे।
रौनक कोटेजा के साथ एक इंटरव्यू के दौरान फैसल ने एक किस्सा सुनाया जब उनसे पूछा गया कि “मेला” फिल्म फ्लॉप होने के बाद जब वह इधर-उधर रोल के लिए भटक रहे थे तो क्या आमिर खान ने उनकी मदद की थी।
तो फैज़ल ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि आमिर खान ने उनकी कोई मदद नहीं की थी। फैज़ल ने फिर कहा कि आज फिल्म “फैक्ट्री” के साथ ही उन्हें उनकी ताकत का एहसास हुआ है। आगे वह कहते हैं कि “मेला” फिल्म फ्लॉप होने के बाद आमिर खान ने उन्हें कॉल किया और कहा ‘फैज़ल, तुम अच्छे ऐक्टर नहीं हो, अब मेला भी फ्लॉप हो गई, अब क्या?
अब तुम्हें लाइफ में कुछ और काम देखना चाहिए।’ उन्हीने यह भी कहा कि आमिर ने उनसे कहा कि उन्हें नहीं लगता कि वह (फैज़ल) एक एक्टर है। फैज़ल ने कहा मैं आमिर खान से मदद कैसे मांग सकता था जबकि उन्हें यह नहीं लगता कि मैं एक अच्छा एक्टर हूं।
फैज़ल ने कहा कि एक भाई के नाते उन्होंने हमेशा आमिर खान को सपोर्ट किया है और वह आमिर खान की कामयाबी से खुश हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें आमिर से कोई इष्या नहीं है क्योंकि वह उन लोगों में से हैं जो आज भी सड़क पर खड़े होकर वड़ा पाव खाते हैं और फिर ऑटो में बैठ कर वापस घर आते हैं। तो इतनी सीधी सादी है मेरी जिंदगी।
अपनी मानसिक स्थिति को लेकर फैज़ल ने कहा कि उन्होंने अपने परिवार से मिलना इसलिए बंद किया क्योंकि उनके बातों में डिफरेंस थे। उनसे लड़ने के बजाय उन्होंने दूरी बना ली क्योंकि उनका मानना है कि कई बार दूरियां,चीजों को सही कर देती है। इसके बाद उन्होंने कहा ‘मैं अलग हुआ तो उन्हें लगा कि ये फैमिली से अलग हो गया, इसको क्या हो गया।
फैमिली अपसेड हो गई, उन्होंने कहा- ये फैमिली को नहीं मिल रहा यानी पागल हो गया है। इसके बाद एक दिन आमिर खान मेरे घर पर आए, उनके साथ पुलिस और डॉक्टर्स भी थे। वह काफी समय से मुझे कह भी रहे थे कि फैज़ल तुम ठीक नहीं हो। आमिर खान आकर बोले तुम सिजोफ्रेनिया के शिकार हो, सब पर शक करते रहतो हो। मैंने कहा- ‘मैं किसी पर शक नहीं करता।
आमिर ने कहा- फैजल यदि अभी तुम मेरे साथ नर्सिंग होम नहीं चले तो यहां डॉक्टर हैं, ये तुम्हें इंजेक्शन लगाएंगे और बेहोश करके तुम्हें लेकर जाएंगे। मैंने कहा, ये सब करने की जरूरत नहीं हो, चलो मैं ऐसे ही चलता हूं। मुझे लगा वे मेरा कुछ टेस्ट वगैरह करेंगे और छोड़ देंगे। आप पुलिस के साथ रस्सी लेकर, डंडे लेकर आ रहे हो कोज़ी नर्सिंग होम में लेकर गए, ये पूरी तरह से गैर कानूनी ऐक्टिविटी थी। इसकी जरूरत नहीं थी।’
आगे वह कहते हैं कि उनसे उनका फोन भी छीन लिया गया था। उन्हें कैद किया गया था और पानी में दवाइयां मिलाकर दी जाती थी जिसमे बिल्कुल स्वाद नहीं था। वह 20-20 घंटे सोया करते थे। तब उन्हे यह एहसास हुआ कि जो भी हो रहा है यह गलत हो रहा है क्योंकि कहीं दवाइयों के ओवरडोज से जान ना चली जाए।
उन्होंने अपनी बहन को फोन किया और कहा कि उन्हें दवाइयां दे पर कोई हो जो यह देखे की कितनी मात्रा में दवाइयां दी जा रही है। उसके 20 दिन के बाद उन्से कहा गया कि अब आप थोड़े बेहतर हो गए हैं और अब आप अपने घर जा सकते हैं।