मंजिल उन्हीं को मिलती है .जिनके पास जूनून और जिद होती है.आज हम आपको एक ऐसे ही व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे है . जिनका नाम अंसार अहमद है। इन्होने अपने जीवन में संघर्ष करके आईएएस ऑफिसर बन कर दिखाया है. आपकी जानकारी के लिए बता दे अंसार अहमद ने गरीबी में भूखें रहकर, होटलों में लोगों के जूठे बर्तन साफ करके और पूरी सिद्दत के साथ अपनी पढ़ाई की और आईएएस अधिकारी बनकर पूरे देश में अपने परिवार का नाम रौशन किया है.

गरीबी के संघर्ष में बीता जीवन

एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले अंकरी शेख अंसार अहमद’ महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव शेलगांव के निवासी है. उनके पिता अहमद शेख एक ऑटो चालक अंसार का परिवार बहुत बड़ा था. परिवार में उनके साथ उनकी 2 बहनें और 1 भाई भी रहते थे. इतने बड़े परिवार का खर्च चलाना काफी मुश्किल हो जाता था. इसलिए उनकी मां घर का काम करने के बाद दूसरों के खेतों में भी काम किया करती थी, और घर खर्च में अपने पति का साथ देती थी.

एक बार तो घर के मुश्किल हालातों और गरीबी को देखते हुए उनके पिता ने उनकी पढ़ाई चौथी कक्षा में ही छुड़वाने का फैसला किया . लेकिन अंसार अहमद के अध्यापक पुरुषोत्तम पडुलकर ने उनके पिता को पढ़ाई ना रोकने और उनके लगातार पढ़ने का सलाह दिया .एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि अगर उनके अध्यापक ना होते तो शायद वो वो आज एक ऑटो चला बन कर रह जाते.

भ्रष्टाचार मिटाने के लिए अधिकारी बनने का निर्णय लिया
जब अंसार अहमद अपने पिता के साथ बीपीएल योजना से जुड़े काम के लिए सरकारी ऑफिस गए थे. तब ऑफिस में मौजूद अधिकारी ने अहमद के पिता से रिश्वत मांगी थी . कार्य ज़रूरी था इसलिए उनके पिता को अधिकारी को रिश्वत देनी पड़ी.जब अपने पिता से पूछा की अधिकारी को रिश्वत क्यों दी ? तो उन्होंने कहा कि बिना दिए कुछ नहीं हो पाता है. तब अंसार अहमद ने ठान ली कि वह इस भ्रष्टाचार को पूरी तरह से मिटा कर रहेंगे. तभी उन्होंने अधिकारी बनने का निर्णय ले लिया .

एक अध्यापक से प्रेरणा लेकर आगे पढ़ाई की

अंसार अहमद जिस कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे, वहां के एक टीचर का सिलेक्शन एमपीएससी में हो गया था. जिनसे प्रभावित होकर उन्होंने उस अध्यापक से सलाह ली. और उनके टीचर ने उन्हें यूपीएससी के पैटर्न और परीक्षा से संबंधित जरूरी जानकारी दी. हालांकि अंसार अहमद का एमपीएससी में सिलेक्शन नहीं हो पाया था.

इतना ही नहीं अपनी बेसिक शिक्षा पूरी करने के बाद तक अंसार अहमद छुट्टियों के दौरान काम किया करते थे. छुट्टियों में काम कर के जो भी पैसा मिलता उससे अपनी पढ़ाई पूरी करते. और उन्होंने उसी पैसे से अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. हालांकि ग्रेजुएशन की पढ़ाई के आखिरी 2 सालों में उन्होंने पूरी तरह से यूपीएससी की परीक्षा में पूरी तरह से ध्यान लगाया. ऐसे हालातो में उन्हें काम भी छोड़ना पड़ा. तब पैसों की जरूरत को उनके छोटे भाई ने पूरा किया .

कड़ी मेहनत के बाद बने अफसर

आपकी जानकारी के लिए बता दे उनके छोटे भाई ने 5वीं कक्षा में पढ़ाई छोड़ दी थी. जिसके बाद वह काम में लग गए. आगे वो बताते हैं कि उनके पास हारने का विकल्प नहीं था. इसकी वजह से उन्होंने बहुत कड़ी मेहनत की. पढ़ाई में उनकी हिम्मत, मेहनत और हौसले की बदौलत उन्हें सफलता हासिल हुई. साल 2015 में उन्होंने पहले ही प्रयास में 361वीं रैंक हासिल की. अंसार अहमद अपने जीवन में छोटे भाई, माता-पिता और अपने शिक्षकों को अपनी सफलता का पूरा क्रेडिट देते हैं.

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