कोरोना जैसी मुश्किल घड़ी सामने हो तो कभी-कभी दवा से ज्यादा इंसान को उबारने का काम उसका आत्मविश्वास और जीने की ललक कर दिया करते हैं। 92 साल की प्यारी बाई जैन की ऐसी ही एक कहानी है, जो लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है।
लोगों को कोरोना से लड़ने का हौसला दिया
प्यारी बाई भले ही 92 साल की है, लेकिन उनका हौसला और विश्वास समय के गुजरते पहिये के साथ मजबूत इरादों वाले भी हैं। कोरोना को लेकर खौफ पालने वाले और कोरोना होने पर जिंदगी जीने का हौसला और विश्वास खो देने वाले असंख्य लोगों के लिए 92 साल की प्यारी बाई जैन आशा और विश्वास की एक नई उमंग है, जो कोरोना होने पर भी जरा भी न घबराई , और उसका धैर्य के साथ सामना किया।
कोविड गाइडलाइन का सावधानी से पालन किया
प्यारी बाई जैन ने कोरोना लक्षण आने पर कोरोना टेस्ट कराया और पाजिटिव आने पर कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए कोरोना की जंग जीत ली। श्रीमती प्यारी बाई जैन ने होम आइसोलेशन में परिवार वालों से पृथक रहकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीती। उन्होंने बताया कि एक मई को सर्दी-खांसी, बुखार जैसा लक्षण आने के बाद उसने कोविड टेस्ट कराया तो रिपोर्ट पॉजीटिव निकली।
रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर नहीं लिया अनावश्यक तनाव
श्रीमती जैन ने बताया कि कुछ लोग कोरोना का जांच कराने और रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर अनावश्यक तनाव लेते हैं। उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद वह बिल्कुल भी नहीं घबराई और किसी प्रकार का तनाव भी नहीं लिया। लक्षण दिखने के तुरंत बाद से ही खुद को होम आइसोलेट कर लिया, जिसकी वजह से घर के अन्य सदस्यों में कोरोना का संक्रमण नहीं फैल पाया।
उसने बताया कि शासन द्वारा कोविड संबंधी जो दिशा-निर्देश दिए जा रहे थे, उसका धैर्यपूर्वक पालन करते हुए होम आइसोलेशन में पृथक् से रहीं। लगभग 17 दिनों तक होम आइसोलेशन के दौरान समय पर भोजन, योगा सहित शारीरिक व्यायाम भी करती रही। 17 मई को दोबारा टेस्ट कराया, तो रिपोर्ट निगेटिव आई। अब प्यारी बाई जैन कोरोना से जंग जीत चुकी है।
अनेक लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी प्यारी बाई
अब प्यारी बाई जैन कोरोना से जंग जीत चुकी है। वह पहले की तरह सामान्य है और समय पर भोजन, योगा, व्यायाम भी करती रहती है। वह कहती है कि कोराना को हल्के में न लिया जाए, इससे बचने के लिए जो भी जरूरी उपाय है उसे अपनाया जाए।यदि संक्रमण हो भी जाए तो अपनी आशा, विश्वास कायम रखे और धैर्य, साहस का परिचय देते हुए शासन की गाइडलाइन का पालन करें।
लोगों को कोरोना से बचने का संदेश देने वाली श्रीमती प्यारीबाई जैन ने 92 साल की उम्र में भी आत्मविश्वास को कम नहीं होने दिया। धैर्य और साहस के सिद्धांतों पर चलकर उन्होंने कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीतकर उन्होंने साबित किया है कि अगर हौसला बुलंद हो और मंजिल पाने की लगन हो, तो कठिन से भी कठिन राहें अपने आप आसान हो जाती हैं l