कुछ लोगों के लिए इंडियन टॉयलेट में बैठना सहज नहीं साबित होता है. आजकल वरिष्ठ नागरिक और युवा सभी वेस्टर्न टॉयलेट को ही खोजना पसंद करते हैं. युवों के बीच वेस्टर्न टॉयलेट की लोकप्रियता इसलिए ज्यादा है कि वह उसमें फ़ोन चलाते हुए काफ़ी देर तक बैठ सकते है!
खैर ये तो उन लोगों के लिए ठीक है जो वेस्टर्न टॉयलेट आसानी से बनवा सकते हैं, देश की एक बहुत बड़ी आबादी तो कुछ साल पहले तक टॉयलेट में जाने को ही आदी नहीं थी, उनके लिए वेस्टर्न टॉयलेट तो बहुत ही ज्यादा दूर की बात हो जाती है. कई वरिष्ठ नागरिकों को इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करने में बहुत ज्यादा तकलीफ़ होने लगती है. कई बार तो वरिष्ठ नागरिक अपनी पेशाब भी काफी समय तक रोक कर रखते हैं, क्योंकि जोड़ों का दर्द उनके बर्दाशत से बाहर का हो जाता है।
वरिष्ठ नागरिकों की इसी समस्या को सत्यजीत मित्तल ने समझा जो कि MIT, Institute of Design के छात्र रह चुके है और इस समस्या के समाधान के रूप में- SquatEase बना कर लोगो को सौंप दिया.
SquatEase में कम पानी की लागत
The Better India में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, सत्यजीत द्वारा डिज़ाइन किए गए टॉयलेट में ऊपर आसानी से बैठ सकते है और इसमें ज्यादा पानी की भी ज़रूरत नहीं होती है.
बता दे जिन लोगों को घुटने की तकलीफ़ होती है वह इंडियन टॉयलेट में एडी फर्श में रखकर नहीं बैठ पाते पर संजीव मित्तल द्वारा बनाए गए टॉयलेट के फ़ुटरेस्ट ज़रा ऊंचे हैं तो आप किसी और तरीके से बैठने की कोशिश भी नहीं करनी पड़ती
सत्यजीत ने ही टॉयलेट के फ़ुटरेस्ट को रिडिज़ाइन किया है
बता दे SquatEase बनाने का आईडिया 2016 में सत्यजीत को आया था और जिसके लिए भारत सरकार से उनको Prototyping Grant भी मिला था और उन्होंने अपना काम भी करना शुरू कर दिया था।
यह टॉयलेट मुख्य तौर पर घुटनों, झांग और कूल्हों, जोड़ों आदि से पीड़ित लोगो के लिए ही डिज़ाइन किया गया है. सत्यजीत द्वारा डिज़ाइन किय गए टॉयलेट में लोगों को अपनी ऐड़ी को बहुत ही अच्छे से रखने की सुविधा सबको मिलेगी. टॉयलेट में Surface भी ज्यादा है जिससे लोग बहुत ही आसानी से अपनी पीठ, पैर की उंगलियां और अपने घुटने को एडजस्ट करके आराम से बैठ सकते हैं.
सत्यजीत का दावा है कि इसको दृष्टिहीन लोग भी बहुत ही आसानी से इस टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं.
जो लोग इंडियन टॉयलेट में पैर की उंगलियों पर बैठते है, उनसे ही करवाई गई है टेस्टिंग :
सत्यजीत ने इंटरव्यू में यह भी बताया कि SquatEase की टेस्टिंग के लिए वह उन लोगों के पास गए थे जो पैर की उंगलियों के दम पर बैठकर इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करते थे.
सत्यजीत ने Orthopedic Department में भी अपने प्रोडक्ट की टेस्टिंग करवाई है जिसे घुटने के दर्द की शिकायत वाले लोगों द्वारा इस्तेमाल किया गया था और उनको रिज़ल्ट काफी पॉज़िटिव मिला था. जो लोग किसी चीज़ का सहारा पकड़कर बैठते थे, उन्हें भी ये प्रोडक्ट बहुत ही सही लगा.
सत्यजीत को यह टॉयलेट बनाने में लगभग 2 साल और 10 लाख रुपये से ज्यादा निवेश करने पड़े.
“2018 में मैंने World Toilet Organistion, सिंगापुर के साथ संपर्क साधा था और अक्टूबर 2018 तक यह प्रोडक्ट मार्केट में पहुंच गई थी.”, सत्यजीत ने बताया.