आज WORLD ENVIRONMENT DAY के दिन आज हम आपको देश में हो रहे जलवायु परिवर्तन पर बात करेंगे।

आज हम बात करेंगे परिस्थितिकी तंत्र के बारे में याने कि हमारा ECOSYSTEM के बारे में आज जलवायु में परिवर्तन होने के कारण हमारा हिमालयन ECOSYSTEM डगमगा रहा है जिसके कारण हिमालयन ecosystem services भी बिगड़ रहा है । मानव जीवन के अव्यवस्थित जीवन जीने के कारण यह सब परेशानियां देखने को मिलता हैं.


मानव द्वारा प्रकृति का इस प्रकार अंधाधुंध use कर रहे हैं। जिससे हमारे पर्यावरण पर असर पड़ते ही ecosystem को भी प्रभावित कर रहा है,
राज्यों के पर्यावरण के ecosystem को बचाने के लिए हमें सन्तुलन बनाए रखना होगा जिससे पर्यावरण में ecosystem को बरकरार रखा जा सकेगा.


एक तंत्र को विकसित किए जाने की आवश्यकता है, लेकिन अभी तक इस दिशा में सरकारों के स्तर पर कोई प्रयास होते नहीं दिख रहे हैं। जलवायु परिवर्तन, आबादी और शहरीकरण का विस्तार, विकास के नाम पर कटते वन व इसके अलावा कई अन्य कारण हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र यानी ecosystem के लिए एक कड़ी चुनौती हैं।इसके चलते हिमालयन क्षेत्रों में तमाम तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। हर नदी, झील, जंगल, वेटलैंड और यहां तक की एक घाटी का अपना एक पारिस्थितिकी तंत्र होता है, जो मनुष्य के लगातार हस्तक्षेप से प्रभावित हो रहा है।

इस प्रकार के हस्तक्षेप से प्रभावित हो रहा है , तेजी से आगे बढ़ता हुआ अर्बनाइजेशन मतलब की तेजी डेवलप होते हुए शहर लगातार कटते छायादार हवादार वृक्ष जिस वजह से प्रकृति का ecosystem गड़बड़ा और बिगड़ रहा है।इस प्रकार नदियों ने अपना स्वरूप बदलना शुरू कर दिया है। वो लगातार सिकुड़ रही हैं। सदानीर रहने वाली कई नदियों में अब मानसून के सीजन में ही पानी दिखाई देता है तो झीलों का हम किस तरह से लगातार दोहन कर रहे हैं, ये सबसे बड़ा उदाहरण नैनीताल स्थित नैनी झील है। इसके बिगड़ते हुए ecosystem पर कई वैज्ञानिकों ने सवाल खड़े किए हैं.


मानव के हस्तक्षेप से वन्य जीवों का संसार लगातार प्रभावित हो रहा है और उसका संतुलन बिगड़ता जा रहा है, जिससे वन्य जीव का जीवन प्रभावित हो रहा है। उन्हें कठिनाई हो रही है। इसकेमध्य हिमालयी क्षेत्र में एक ओर औसत वर्षा में कमी आ रही है, वहीं मौसम चक्र में परिवर्तन हो रहे हैं ,यहां की कृषि और फलोत्पादन में भी इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है।।

लगभग 10 लाख प्रजातियां विलुप्ति के कगार पर है

आज जब हम कई प्रकार की परेशानियां से घीर चुके हैं तब हम 25 % से ज्यादा जैविकता या जैव विविधता हम को चुके हैं। और आगे 10 लाख से ज्यादा प्रजातियां को खोने के कगार पर तैयारी में है, तो इससे समझा जा सकता है कि हम किस प्रकार से इस स्थिति के दोषी हैं। हमारे जीवन में पेड़ पौधे पशु पक्षी इन सभी का महत्वपूर्ण योगदान रहता है ।


जलवायु परिवर्तन और तापमान परिवर्तन होने से हिमालयन क्षेत्र की वनस्पतियां भी अपना स्थान बदलकर ऊपर की ओर ज्यादा बढ़ रही हैं, जो प्रकृति के ecosystem के लिए ठीक नहीं है ।

इसी प्रकार मनुष्य है तो जीवन है ।इसी प्रकार ecosystem को भी बना रहना बहुत जरूरी है जिससे हमारा environment को संतुलित बनाए रखना भी बहुत आवश्यक हैं , प्रत्येक वेटलैंड का अपना पर्यातंत्र होता है अर्थात पारिस्थितिक तंत्र  होता है। जैव विविधता होती है, वानस्पतिक विविधता होती है। ये वेटलैंड  जलजीवों, पक्षियों आदि प्राणियों के आवास होते हैं

जिससे हमें अपने ecosystem को संतुलित और संभाल कर रखना जरूरी आज के दिन हमने अपने प्रकृति के विषय में जाना । जो हमारे लिए बहुत ही आवश्यक है

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