मध्य प्रदेश के किसानों ने बंजर भूमि पर खेती कर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं. वहां के किसान बांस की खेती को ‘ हरा सोना ‘ कहते हैं क्योंकि इस खेती ने उन किसानों को कुछ सालों में करोड़पति बना दिया. और इस खेती से उनकी बंजर जमीन भी उपजाऊ हो गई है..

मध्य प्रदेश के छोटे किसान भी इस खेती को अधिक महत्व देने लगे हैं. क्योंकि इस खेती के लिए सरकार की तरफ से भी 50% सब्सिडी भी दी जाती है . इसलिए असमर्थ किसान भी इस खेती को आराम से कर सकता है.

कैसे फायदा मिलता है किस खेती से..

दोस्तों बांस को हरा सोना कहा जाता है. क्योंकि बांस की खेती बंजर जमीन पर भी आराम से की जा सकती है. और इसे करने के बाद हमारी बंजर जमीन की उपजाऊ बन जाती है. और साथ में इस फसल के साथ दूसरी फसल को भी उगाया जा सकता है.

कैसे हुई इसकी शुरुआत..

हम आपको बता दें शेखर पाटिल नाम के किसान ने अपने खेत के चारों तरफ 40 हजार बांस के पेड़ लगाए थे और बस 2 से 3 साल में 40 हजार बांस से 10 लाख बांस उपजे.  धीरे-धीरे लोग उनसे बांस खरीदने आने लगें.

पहले वर्ष मैं उन्हें 1 लाख रुपये क्या फायदा हुआ. लेकिन अगले दो-तीन सालों में उन्हें 20 से 30 लाख रुपये का मुनाफा हुआ. इसके बाद उन्होंने अपनी इस खेती को 10 गुना बढ़ाकर
करोड़ों रुपए का मुनाफा कमा लिया.

बांस की खेती अन्य फसलों की तुलना में सुरक्षित और अधिक लाभदायक है. बांस की फसल किसी भी मौसम में खराब भी नहीं होती और एक बार उगाने पर कई सालों तक इसका उत्पादन होता रहता है.और मेहनत भी कम और साथ में लागत का आधा पैसा सरकार सब्सिडी के रूप में देगी.

मध्यप्रदेश में बांस की खेती को प्राथमिकता देने के लिए कई मिशन चलाए जा रहे है. राज्य बांस मिशन योजना में किसानों द्वारा निजी भूमि पर बांस रोपण किया जाता है. जिसके लिए राज्य सरकार द्वारा 50 पर्सेंट सब्सिडी भी दी जाती है. सरकार द्वारा कृषि विशेषज्ञ बिनोद आनंद का कहना है कि बांस की 136 प्रजातियां हैं, लेकिन 10-12 काफी प्रचलित हैं. किसान भाई अपनी सहूलियत के हिसाब से प्रजाति का चयन कर सकते हैं.

 

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