कोरोना की दूसरी लहर युवाओं के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। इसकी मुख्य वजह ‘हैप्पी हाइपोक्सिया’ है। इसमें मजबूत इम्यूनिटी वाले युवा भी अपनी जान नहीं बचा पा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की मानें तो कोरोना की दूसरी लहर से 21-40 वर्ष की उम्र के लोग सबसे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं।
कितनी मौतों का कारण है हैप्पी हाइपोक्सिया
विशेषज्ञ बताते हैं कि हैप्पी हाइपोक्सिया की वजह से ज्यादातर युवाओं की जान जा रही हैं। कोरोना की इस भयंकर दूसरी लहर में हैप्पी हाइपोक्सिया की वजह से करीब 5 प्रतिशत मौतें हो रही हैं। इसमें व्यक्ति का ऑक्सीजन लेवल कम होता रहता है, लेकिन उसे इसका अहसास नहीं हो पाता है। जब अचानक एकदम से डाउन हो जाता है, तो व्यक्ति की जान जाने का खतरा हो जाता है। ऐसे में हैप्पी हाइपोक्सिया भी कई मौतों का कारण बन रहा है
क्या है हैप्पी हाइपोक्सिया?
हैप्पी हाइपोक्सिया कोरोना की एक जानलेवा स्थिति है, जिसमें युवाओं में संक्रमण के बावजूद भी उनमें शुरुआती लक्षण नजर सामने नहीं आ रहे हैं। इसमें ऑक्सीजन लेवल 70-80 प्रतिशत तक कम होने पर भी मरीज को इसका आभास नहीं हो पाता है। इसके बाद अचानक से व्यक्ति की तबियत बिगड़ती है और उसकी जान तक चली जाती है।
हैप्पी हाइपोक्सिया में मरीज के अंदर लक्षण नजर नहीं आते हैं, वह अचानक से बीमार होता है और 24-48 घंटों के अंदर संक्रमित व्यक्ति की हालत इतनी गंभीर हो जाती है कि उसे वेंटिलेटर की जरूरत होती है। ऐसे में अगर आपमें भले ही कोरोना के कोई लक्षण न हो, फिर भी अपने ऑक्सीजन के स्तर की समय-समय पर जांच करते रहें।
हैप्पी हाइपोक्सिया के लक्षण
हैप्पी हाइपोक्सिया में फेफड़ों में सूजन आ जाती है, जिससे ऑक्सीजन रक्त तक नहीं पहुंच पाता है। अत: फेफड़ों में सूजन आने पर ऑक्सीजन खून में नहीं मिल पाता है।हैप्पी हाइपोक्सिया में शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है।इस स्थिति में शरीर में ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा होता है।
मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी से कोशिकाएं मरने लगती हैं।इसमें शरीर के अंग खराब होने लगते हैं।
हैप्पी हाइपोक्सिया में मरीज के व्यवहार में बदलाव आ सकता है। इस दौरान वह थोड़ा चिड़चिड़ा हो सकता है।इसका आखिरी लक्षण होता है कि शरीर में ऑक्सीजन का स्तर काफी हद तक कम हो जाता है और सांस लेने में परेशानी होने लगती है। ऐसी स्थिति में कई बार मरीज की जान भी चली जाती है।
हैप्पी हाइपोक्सिया से कैसे करें अपना बचाव
हैप्पी हाइपोक्सिया में मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का लेवल कम होता रहता है, लेकिन इसका अहसास मरीज को नहीं हो पाता है। ऐसे में इस स्थिति से बचने के लिए आपको हर 2-3 घंटे में अपना ऑक्सीजन लेवल जरूर चेक करना चाहिए। अगर आप बिल्कुल ठीक हैं, इसके बावजूद भी आप लगातार अपने ऑक्सीजन के स्तर की जांच करें। अगर आपका ऑक्सीजन लेवल 91 या 92 के नीचे जाता है, तो ऐसे में आपको तुरंत हॉस्पिटल जाने की जरूरत होती है।
हैप्पी हाइपोक्सिया की स्थिति से बचना जरूरी है। घर पर रहें अपना ध्यान रखें और समय-समय पर अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें।