वैज्ञानिकों को एक बड़ी सफलता वैज्ञानिकों को पहली बार ऐसे समुद्री सूक्ष्मजीवों के दो समूह मिले हैं, जो वायरस को खा जाते हैं. इससे महासागरों में कार्बनिक पदार्थों के प्रवाह को समझने में मदद मिल सकती है. जाते हैं. इससे महासागरों में कार्बनिक पदार्थों के प्रवाह को समझने में मदद मिल सकती है.. कुछ ऐसे प्रयोग हुए हैं, जिससे पता लगता है कि समुद्र में कुछ ऐसे सूक्ष्म जीव होते हैं तो वायरस को खा जाते हैं. हालांकि अभी इस प्रयोग में काफी आगे बढ़ने की जरूरत है लेकिन अगर ये सफल रहा तो शायद वायरस संबंधी बहुत सी बीमारियां को नए तरह से काबू पाने में मदद मिल सकेगी.

वायरस को खत्म कर सकते हैं‘प्रोटिस्ट’ कोशिकाओं में मिले जीव
अमेरिका के ‘बिजेलो लैबोरेटरी में ‘सिंगल सेल जीनोमिक्स सेंटर’ के निदेशक एवं अध्ययन के लेखक रामुनास स्तेपानौस्कास ने कहा, ‘‘ हमारे अध्ययन में पाया गया कि कई ‘प्रोटिस्ट’ कोशिकाओं में कई तरह के गैर-संक्रामक वायरस के डीएनए होते हैं, लेकिन बैक्टीरिया नहीं. जिनके बारे में ठोस सबूत मिले हैं कि वे बैक्टीरिया के बजाय वायरस खाते हैं.’’
वैज्ञानिकों ने बताया कि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में वायरस की भूमिका का प्रमुख मॉडल ‘वायरल शंट’ है, जहां वायरस से संक्रमित रोगाणु विघटित कार्बनिक पदार्थों के पूल में अपने रसायनों का एक बड़ा हिस्सा खो देते हैं. यानि कुछ ऐसे सूक्ष्यजीव होते हैं जो वायरस को चट करके रसायनों के इस बड़े हिस्से को खत्म कर देते हैं.
क्या इससे बीमारियों को खत्म करने में मिलेगी मदद ?
अलग अलग किस्म के वायरस अलग किस्म की बीमारियां फैलाते हैं. फिलहाल कोविड-19 नाम के वायरस ने पूरी दुनिया में महामारी फैलाई हुई है.ये एक बड़ा सवाल है. अगर कोई सूक्ष्म जीव वायरस को खा सकता है तो निश्चित तौर पर विज्ञान के प्रयोग उन्हें केंद्र में रखकर बीमारियां पैदा करने वाले वायरसों को खत्म करने की ओर बढ़ सकते हैं. इससे तमाम बीमारियों से निजात पाने के लिए नई दिशा मिलेगी.
वायरस को हम हिंदी विषाणु भी कहते हैं. ये वो सूक्ष्म कोशिकाएं होती हैं, जो साधारण माइक्रोस्कोप से भी दिखाई नहीं देतीं. इन्हें देखने के लिए इलैक्ट्रॉनिक माइक्रोस्कोप की जरूरत होती है.वायरस को सजीव और निर्जीव दोनों श्रेणियों में रखा जाता है, ये जीवित प्राणियों की कोशिकाओं के अंदर ही पलते और बढ़ते हैं. इसलिए उन्हें सजीवों की श्रेणी में रखते हैं.

ये सूक्ष्म जीव समुद्र में ही तैरते रहते हैं
ये एक कोशीय क्रिएचर्स समुद्र में तैरते हैं और वायरस को खा जाते हैं. ये आकार में ऐसे होते हैं कि नजर नहीं आते, इन्हें केवल लैब्स में खास उपकरणों के जरिए ही देखा जा सकता है.वैज्ञानिकों का मानना है कि इन्हें प्रोटिस्ट्स के नाम से जाना जाता है, जिसे उत्तरी अमेरिका के पास अटलांटिक सागर की खाड़ी और मेडेटेरियन समुद्र में स्पेन के कैटेलोनिया की खाड़ी में पाया गया. इनके साथ जो दो तरह के समूहों में अलग डीएनए वायरल पाए गए, उन्हें चानोजोनस और पिकोजोनस कहा गया.
अध्ययन जारी है , इन सूक्ष्म जीव पर
हालांकि इनको लेकर अभी बहुत से प्रयोग होने हैं और बहुत सी स्पष्टता होती है कि ये कैसे वायरस को खा जाते हैं, कैसे वायरस के अणु इनकी कोशिका में अंदर तक पहुंचते हैं.वायरस कोशिकाओं में पाये जाते हैं. वहीं बढ़ते हैं और वहीं से रोग पैदा करते हैं.