कोरोनावायरस के खतरे की वजह से लंबे समय से बच्चे घरों में कैद हैं, कोरोना का रिटर्न, साल से ज्यादा समय से स्कूल बंद, खेदकूद नहीं, दोस्त-साथी नहीं, घूमना-फिरना, आउटिंग, शॉपिंग सब बंद और जिधर देखो तनाव देने वाली बातें ऐसे में बच्चों की हालत को समझिए।
इस बारे में मनोवैज्ञानिकों की ओर से भी चेतावनी दी गई है कि महामारी का यह दौर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है. अगर उनमें कुछ मानसिक और शारीरिक बदलाव आ रहे हैं, तो पैरेंट्स को उन्हें समझना होगा. बच्चों में तनाव का क्या कारण है।
बच्चों का लॉकडाउन
कोरोना कॉल में घर पर रह कर बच्चे चिड़-चिडे़ हो गए हैं। 6 से 12 साल के बच्चों पर ज्यादा असर देखने को मिल रहा है। बच्चों में भी डिप्रेशन के लक्षण दिख रहे हैं। खेलकूद बंद होने से बच्चों की दिनचर्या बदली है। बच्चों के बर्ताव में बदलाव दिख रहा है। स्कूल न जाने से भी बच्चों पर असर आ रहा है।
तनाव में बचपन
बच्चों का बाहर खेल-कूद, मिलना-जुलना, बाजार, मॉल, रेस्टोरेंट जाना बंद है। छुट्टियों में बाहर घूमने जाना भी बंद है। इन स्थितियों में बच्चों में चिड़चिड़ापन, ज्यादा गुस्सा, दुखी चेहरा आम बात होती जा रही है। बच्चों में मायूसी, कोशिश किए बिना हार मान लेनी की आदत देखने को मिल रही है। इसके अलावा थकावट, कम एनर्जी, एकाग्रता में कमी की शिकायतें भी मिल रही हैं। सामाजिक गतिविधियों से दूरी बनाना, दोस्तों, रिश्तेदारों से कम घुलना-मिलना जैसे लक्षण भी देखने को मिल रहे हैं।
बच्चों में तनाव है तो इससे निपटने के रास्ते भी है।
बच्चों की परिस्थितियों को समझे।
इस समय बच्चे तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहे हैं। चारों ओर से आ रही खबरें सुनकर बच्चों में तनाव पैदा होता है। कोविड -19 के कारण झेलने का खतरा बच्चों में काफी ज्यादा रहता है। ऐसे में बच्चों पर इसका कितना प्रभाव पड़ रहा है, इसे समझना जरूरी है। ताकि आप उन्हें स्थिति को अच्छे से समझा करें और उनकी सोच को सकारात्मक कर सकें।
बच्चों के लिए एक शिड्यूल तय करें
बच्चों के लिए घर पर भी एक टाइम टेबल बनाएं और उसी के हिसाब से शिड्यूलिंग कर बच्चों के सोने, जागने, टीवी देखने, पढऩे या खेलने का समय तय करें। साथ ही उन्हें इसका पालन करने के लिए भी प्रेरित करें, ताकि उनका रुटीन बना रहे।
बच्चों के साथ टाइम बिताएं
बच्चों को भी उनकी क्षमता के अनुसार काम का जिम्मा सौंपें। इसमें रसोई, बागवानी या साफ-सफाई जैसे कामों में बच्चों की मदद ली जा सकती है। इससे आपके और बच्चों के बीच बेहतर संपर्क स्थापित होगा और यह उन्हें जिम्मेदार होने का अहसास भी होगा।
बच्चों के मन की बात को समझे
बच्चों को लगातार प्रोत्साहित करते रहें। इससे हमें उनके अंतर मन की बात को समझने का समय मिलेगा। लेकिन ध्यान रखें कि इस दौरान आपको उन्हें जज नहीं करना है। इस सारी कवायद का मकसद परिवार और जरूरत पड़े तो विशेषज्ञ की सहायता से बच्चों की सकारात्मक ऊर्जा को सही दिशा प्रदान करना है। इन सुझावों और विसतार से की गई चर्चा से आप निश्चित रूप से अपने बच्चों के लिए महमारी के दौर में भी बेहतर माहौल और वही पुराना बचपन लौटा सकेंगे।
बच्चों से अधिक बातें करें
बच्चों के मन की बातों को जानने के लिए उनसे अधिक से अधिक बातें करें। बात करने से समझ आएगा कि आपके बच्चे किस बात से परेशान हैं। ऐसा करने से आपको उन्हें समझने में मदद मिल सकती है। साथ ही आप उन्हें इस दौर में अच्छे से समझ सकते हैं।
बच्चों को गलत धारणा से दूर रखें
बच्चों में कोविड-19 के दौरान काफी ज्यादा तनाव बढ़ रहा है। इस समय स्कूल बंद हैं और वे घर से बाहर भी नहीं जा पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में उनके दिमाग में कई तरह की धारणाएं बन सकती हैं। इस बात का माता-पिता को खास ध्यान रखना चाहिए। अपने बच्चों को इस समय यह एहसास दिलाएं कि सबकुछ बहुत ही जल्द ठीक हो जाएगा। यह महामारी कुछ समय के लिए है, बात में सबकुछ पहले जैसा हो जाएगा। ऐसे में आपके बच्चे गलत धारणा बनाने से बच सकेंगे।
बच्चों में तनाव कम करें
बच्चों में इस समय काफी ज्यादा तनाव बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में उन्हें अच्छी नींद, एक्सरसाइज और हेल्दी डाइट देने की कोशिश करें। ऐसा करने से स्ट्रेस लेवल को काफी हद तक कंट्रल किया जा सकता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि माता-पिता को बच्चों के साथ महामारी के बारे में ज्यादा बातें नहीं करनी चाहिए, इससे उनके अंदर तनाव बढ़ता है। उनके सामने नए-नए एक्टिविटीज करें और उनके दोस्त बनने की कोशिश करें।