सोशल मीडिया पर एक खबर काफी वायरल हो रही है. खबर में कहा जा रहा है कि रेलवे ने एक लड़की की जिद के आगे घुटने टेकते हुए राजधानी एक्सप्रेस को केवल उसके लिए चलाया.कहा जाता है कि इंसान को चाह हो तो वह कुछ भी करने से हार नहीं मानता .कुछ ऐसा ही नई दिल्ली में हुआ जहाँ एक लड़की के ज़िद के कारण रेलवे के ऑफिसर्स को हार माननी पड़ी और राजधानी एक्सप्रेस को केवल एक सवारी के लिए 535 किलोमीटर तक चलाना पड़ा…

क्या थी उस लड़की की ज़िद

लड़की की ज़िद थी कि वह राँची तक का सफर तय करेगी तो राजधानी एक्सप्रेस से ही. उसका कहना था कि अगर उसे बस से ही जाना होता तो वह ट्रेन का टिकट ही क्यों लेती. ट्रेन एक मात्र सवारी को लेकर रात 1 बजकर 45 मिनट पर राँची पहुँची. ऐसा पूरे इतिहास में शायद पहली बार हुआ होगा कि केवल एक यात्री के लिए 535 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ा. रेलवे अधिकारियों ने बस की जगह कार की भी सुविधा देने की कोशिश की लेकिन अनन्या ने अपनी ज़िद नहीं छोड़ी. रेलवे चेयरमैन के पास यह बात पहुँची तो उन्होंने पूरे सुरक्षा इंतजाम के साथ केवल एक यात्री के ट्रेन चलाने की इजाजत दे दी.

 

यह लड़की बीएचयु की लॉ की छात्रा अनन्या थी
930 यात्रीयों में से 929 यात्रीयों ने पहले ही बस से जा चुकी थी लेकिन अनन्या ने बस की सवारी को साफ मना कर दिया .बता दें कि बाकी यात्रियों ने डाल्टेनगंज से बस की सवारी का चयन कर लिए तंग और अपनी मंजिल के लिए रवाना हो चुकी थीं.राँची के एचईसी की निवासी अनन्या ने अपनी बात मनवाने के लिए 8 घंटे तक संघर्ष किया और अपनी जायज माँग पर डटी रही.अनन्या की यह कहानी हमें आत्मनिर्भर होना सिखाती है .अनन्या ने कहा कि वह रेलवे की इस हरकत से काफी नाराज भी थीं.

अनन्या का कहना है कि रेलवे ने बिना माफी मांगे सारे यात्रियों को बस से जाने के लिए बोल दिया. जब उसने इस महामारी के वक्त सभी यात्रीयों को सारे नियमों का उल्लंघन करते हुए बस से जाते देखा तो उसके खिलाफ आवाज़ उठाना ही सही समझा .हालांकि सबने आसान रास्ता चुना और अनन्या इस लड़ाई में अकेली डटी रहीं .अनन्या ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदीजी को यह बताने का अच्छा तरीका था कि उनकी जनता आत्मनिर्भर हो रही है.

कार से भेजने की बात भी नहीं मानी 

अनन्या ने कहा कि रेलवे अधिकारियों ने उनसे कहा कि वे उनके रांची जाने के लिए कार की व्यवस्था कर देंगे. लेकिन वह तैयार नहीं हुई.वह जिद पर अड़ी रही कि राजधानी एक्सप्रेस से ही रांची जाएगी. रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को सारी बात बताई गई. विचार-विमर्श के बाद उन्होंने डीआरएम को निर्देश दिया कि अनन्या को राजधानी एक्सप्रेस से रांची भेजें. सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम हों.

ट्रेन में नहीं थी महिला सिपाही अकेले आरपीएफ जवान के साथ पहुंची अनन्या

राजधानी ट्रेन में अनन्या अकेली थी. रेलवे को चाहिए था कि सुरक्षा के लिए महिला सिपाहियों को भी ट्रेन में तैनात किया जाए. धनबाद के डीआरएम ने कहा भी था कि अनन्या की सुरक्षा के लिए महिला सिपाही भेजी जाएगी. लेकिन रांची रेलवे स्टेशन पर जब ट्रेन रुकी तो बी 3 कोच में सिर्फ आरपीएफ का एक जवान बाबूलाल कुंवर ही महिला की सुरक्षा में तैनात था.

535 किलोमीटर चली राजधानी एक्सप्रेस 

ट्रेन को डालटनगंज से सीधे रांची आना था. डालटनगंज से रांची की दूरी 308 किलोमीटर है. मगर, ट्रेन को गया से गोमो व बोकारो होकर रांची रवाना करना पड़ा. इस तरह ट्रेन को 535 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी. अनन्या की सुरक्षा के लिए आरपीएफ की कई महिला सिपाही तैनात की गई थीं. रेलवे के एक वरीय अधिकारी के अनुसार, 25 वर्ष से वह रेलवे में कार्यरत हैं, लेकिन याद नहीं कि एक यात्री के लिए राजधानी ने 535 किलोमीटर की दूरी तय की

 

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