दोस्तों आज हर मनुष्य कहीँ किसी जगह, इसी दुनिया में, एक ऐसी दुनिया बनाए जहाँ क्या सही, क्या गलत ये तय करने वाले लोगों का मापदंड न हो | जहाँ कोई किसी कि वजूद को इस बात से न आंके कि उसके बैंक में कितना जमा है, मकान कैसा है, गाडी कैसी है, रंग रूप कैसा है|जिंदगी जीने में खर्च हो न कि जिंदगी सिर्फ साँस लेने में खर्च हो जाए।

जहाँ कोई रेस में न भागे, कोई रेस ही न हो| हर किसी का सफर अलग है, अद्वितीय है फिर कैसे, और कैसी तुलना, किसी और से, सब अपना-अपना कर्म करें, बस इस बात का अहसास रहे, ख्याल रहे कि हम किसी के जीने में बांधा न बने, बस इतना ही कर पाएं वो भी बहुत है।

ऐसी जगह हो जहाँ सुकून हो, शांति हो, जिंदगी हो, जहाँ जिंदगी जीने की आपाधापी न हो, बल्कि जिंदगी जीने की ललक हो, हर पल हर लम्हा, जहाँ साँसों की धडकनों से हो रही गुफतगू भी सुनाई दे, जब हवा छु कर गुज़रे तो वो रूह तक में ताजगी भर दे, अहसास दे जाए कि हम जिंदा हैं,  कि हम बाकी हैं।

कितना अच्छा हो अगर वक्त जिंदगी को और खूबसूरत, और संवारने, और जीने में गुज़रे, खुद को प्यार करें, खुद की कद्र करें न कि किसी और पर निर्भर होना पड़े। कोई और तय करे भी क्यों, क्या सही क्या गलत हमारे लिए या हम तय करें दूसरों के लिए। किसी के काम आ पाएं तो अच्छा, मगर न भी आ पाएं तब भी अच्छा बस हम दूसरों के जीवन में खलल न डालें।

जिंदगी में मकसद होना अच्छा है, होना चाहिए लेकिन अगर न भी हो, तो भी सिर्फ जीना ही अपने आप में बहुत अहम हो। मगर ऐसी जगह यहाँ देखी, न वहाँ देखीं|कभी खुद के लिए बना पाऊँ तो| लेकिन तब तक के लिए यही कहना सही होगा, शायद सबको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त,
लेकिन दिल बहलाने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है|

One thought on “एक दुनिया जहाँ कोरोना कभी नहीं आ सकता – जहाँ लोग खुल कर जीते हैं”

Leave a Reply

Your email address will not be published.