ये बात सही भी है और ग़लत भी
सही और ग़लत सिद्ध करने के लिए दोनों पक्ष में अपने तर्क देना चाहूंगा
(1) स्त्री अपने प्यार के लिए किसी भी हद तक जा सकती है जैसा कि हम देखते हैं कि वर्तमान समय में बदलती जीवन शैली के कारण हर कोई इंसान अपने पार्टनर को सही क्वालिटी टाइम नहीं दे पाता
इस वज़ह से उसके अंदर एक प्यार की कसक रह जाती हैं. इस कारण वह सोचती है कि मेरा पति मेरे से प्यार नहीं करता है. इस वज़ह से वह प्यार ढूँढती हैं. इससे कुछ लोग इसी चीज का फायदा उठाते हैं जो प्यार के चंगुल में फंसा कर उससे मीठी-मीठी प्यार की बातें करतें है. इससे स्त्री उनके करीब हो जाती है और अपनों से दूर. इसलिए कहा गया है जो स्त्री जिनके ज़्यादा करीब होती है वह उसी की हो जाती है
(2) कुछ स्त्री समाज संस्कृति के लिए आदर्श होती है. ये स्त्री अपने वंश कुल समाज और अपने भाई-बहिन. माता-पिता की इज़्ज़त का पूरा सम्मान करती है सही मायनों में ये स्त्रियाँ ही देश समाज का आदर्श होती है.
आज के वक़्त में प्यार के झांसे में नहीं आए ….मेरा मानना है सच्चे लोगों के बीच प्यार नहीं हो सकता. प्यार की बुनियाद झूठ पर आधारित है. स्त्री हो या पुरुष अपने मतलब के लिए प्यार कर रहे है