वैष्णो देवी सम्पूर्ण दर्शन

चलो बुलावा आया हैं माता ने बुलाया हैं | माता रानी ने जिनको भी बुलावा भेज दिया उस भक्त को माता के दरबार में हाजरी लगनी ही पड़ती हैं | जल्दी ही आपको और आपके परिवार को भी माता रानी का बुलावा आये और आप भी उचे पहाड़ो पर रहने वाली माँ वैष्णवी के दर्शन करने जा सके |

वैष्णो माता की महिमा से कोई भी अनजान नही हैं माता की कृपा जिन पर हो जाती हैं वो पत्थर भी तर जाते हैं | माता त्रिकुट गुफा में पहाड़ो के बिच साक्षात महा शक्ति , महा लक्ष्मी तथा महा सरस्वती के रूप में विराजमान हैं |

यात्रा का प्रारंभ:

यात्रा की शुरुआत जम्मू के एक छोटे से शहर कटरा से होती हैं | कटरा त्रिकुट पर्वत के बिच बसा एक छोटा सा शहर हैं जो की देश के सभी बड़े शहरो से ट्रेन और बस के दूवारा जुड़ा हुआ हैं | सबसे पहले आपको कटरा पहंचना होगा उसके बाद उसके आगे की यात्रा शुरू होगी |

यदि आप हवाई जहाज से सफ़र कर रहे हैं तो पहले आपको जम्मू तक आना होगा फिर आपको कटरा तक बस में सफ़र करना होगा| कटरा में आपको रहने की और खाने की अच्छी सुविधा हैं तो आप अपनी यात्रा वह से सुरु कर सकते हैं

कटरा से वैष्णो देवी की यात्रा :

कटरा आकर आपको वहा थोडा आराम करना हैं फिर आपको आगे की यात्रा शुरू करनी हैं | यात्रा शुरू करने से पहले यात्रा टिकट काउंटर से टिकट लेना अनिवार्य हैं | यात्रा पर्ची आपको बस स्टैंड के पास यात्रा टिकट काउंटर से लेनी हैं |

कोरोना के कारन आप यात्रा पर्ची ऑनलाइन भी ले सकते हैं इस लिंक पर क्लिक करके : Book Yatra Ticket for Mata Veshno Devi

यात्रा रजिस्ट्रेशन काउंटर , कटरा (बस स्टैंड के समीप)
                                                           यात्रा रजिस्ट्रेशन काउंटर , कटरा (बस स्टैंड के समीप)

बानगंगा पोस्ट :

पर्ची लेने के बाद हम अपनी यात्रा बानगंगा पोस्ट की और शुरुवात करेंगे माँ के जय कारे के साथ | हमे कटरा से माँ के मंदिर तक 14 Km की दुरी तय करनी हैं | आप आपकी इच्छा के अनुशार पैदल, खचर या पालकी के माध्यम से सफ़र कर सकते हैं | वह सीडिया बनी हुई हैं आप उनका उपयोग कर सकते हैं नही तो आप पैदल रस्ते का उपयोग कर सकते हैं और आते समय आप सीढियों का उपयोग कर सकते हैं |

दर्शनी दरवाजा (बानगंगा चेक पोस्ट)
                                                        दर्शनी दरवाजा (बानगंगा चेक पोस्ट)

ऐसा मन जाता हैं की बानगंगा में माता ने बान चला कर गंगा को प्रथ्वी से प्रकट किया था फिर उससे अपने बालो का स्नान किया था | यात्री अपने आप को अच्छा महसूस करते हैं जब वो इस जगह स्नान करते हैं |

बानगंगा में नहाते हुए
                                                                                         बानगंगा में नहाते हुए

जय माता दी के नारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता हैं ऐसा माना जाता हैं की माता अपने भक्तो को खुद सकती देती हैं ताकि वो ऊचे पहाड़ो को पार करके उनके दर्शन के लिए आ सके |

चरण पादुका :

बानगंगा के बाद दूसरा स्टॉप चरण पादुका हैं ऐसा माना जाता हैं की यह माता जी की चरण पादुका हैं अभी यह विशाल सुन्दर मंदिर हैं |

वैष्णो माता की चरण पादुका
                                                                            वैष्णो माता की चरण पादुका

त्रिकुट पर्वत पर जाते भक्त सब भूल जाते हैं चरण पादुका के बाद हमारा अगला पड़ाव हैं अर्ध कुवारी की गुफा का | यह माना जाता हैं की माता ने 9 महीने यह रुके थे और भक्ति की थी | इसे गर्भ गृह भी कहा जाता हैं |

अर्धकुंवारी की गुफा
                                                                                 अर्धकुंवारी की गुफा

रास्ते में अन्नपूर्ण नाम से भोजनालय बने हुए हैं वहा आप भोजन कर सकते हैं | खाना बहुत ही साफ और सादा होता हैं |

माता का भवन त्रिकुट पर्वत के बिच बना हुआ हैं और वैष्णो माता वहा माता रानी पिंडी रूप में विराजमान है|

विश्राम के लिए भवन उपलब्ध हैं और सामान रखने के लिए मुफ्त क्लॉक रूम उपलब्ध हैं |

माता के भवन से कुछ ऊपर भैरोघाटी है जहाँ पर भेरो बाबा का मंदिर है।  ऐसा कहा जाता है की भेरो बाबा के दर्शन के बिना वैष्णो देवी की यात्रा पूर्ण नहीं होती। भक्त माता की पवित्र गुफा के दर्शन कर के भेरो के दर्शन करते है। जय माता दी!!

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