दोस्तों एक बार एक राज्य में एक बार एक राज्य में राजा। वह बहुत ही इमानदार और मेहनती राजा था। एक बार राजा के दरबार में एक विदेशी आया। उसने राजा को एक बहुत बहुत बेशकीमती और मूल्यवान पत्थर दिया।
राजा ने अपने महामंत्री को बुलाया और कहा कि महामंत्री जी यह जो पत्थर है इससे हमें अपने राज्य में भगवान विष्णु का मंदिर बनवाना है।
महामंत्री राज्य के सबसे अच्छे जो मूर्तिकार थे उनके पास पहुंचे। उसके बाद उन्होंने मूर्ति कारों से कहा कि इस बहुमूल्य पत्थर का आपको विष्णु भगवान की मूर्ति बनानी है। और इस मूर्ति को बनाने पर आपको 50 सोने की मोहरे राजा की तरफ से दी जाएगी। ऐसा सुनकर मूर्तिकार बहुत खुश हुए। उन्हें मूर्ति बनाना स्टार्ट कर दिया।

जब मूर्तिकार ने मूर्ति बनाना शुरू किया तो मूर्तिकार ने बार बार उस पत्थर पर वार किया। उसे तोड़ने की कोशिश की ताकि उसे वह मूर्ति बना सके। मूर्तिकार ने पहला प्रयास किया उसने हथौड़े से उस पत्थर पर मारा पर पत्थर नहीं टूटा। मूर्तिकार ने वापस से प्रयास किया उस पत्थर पर दोबारा उस थोड़े से मारा परंतु दोबारा भी पत्थर नहीं टूटा।

मूर्तिकार ने बार बार कम से कम 50 बार यह प्रयास किया परन्तु उससे वह पत्थर नहीं टूटा। मूर्तिकार ने 51वी बाहर कोशिश कर रहा था तो उसने अपने हाथ वापस खींच लिए उसने सोचा कि यह 50 बार में भी यह नहीं टूटा तो 51वी बार में केसे टूटेगा |मूर्तिकार थक हार कर उस मूर्ति को वापस महामंत्री के पास पहुंचा दिया और कहा कि मैं इससे मूर्ति नहीं बना सकता क्योंकि यह मुझसे नहीं टूट रही और नहीं टूटेगी तो इससे मूर्ति नहीं बन पाएगी। इस पत्थर को तोड़ना नामुमकिन है।

महामंत्री को राजा का का आदेश था कि कृष्ण भगवान की एक सुंदर मूर्ति बनानी है राज्य के अंदर एक मंदिर के अंदर को प्रतिष्ठित करना है।
अबकी बार महामंत्री ऐसे मूर्तिकार के पास गए जो कि एक साधारण सा मूर्तिकार था और उसको बोला कि इससे हमे एक विष्णु भगवान की प्रतिमा बनानी है जिसको हम लोग राज्य के अंदर एक मंदिर में स्थापित कर सकें।
मूर्तिकार ने जैसे ही उस पत्थर पर पहला वार किया वह पत्थर टूट गया और उस पत्थर से मूर्तिकार ने एक सुंदर प्रतिमा बनानी प्रारंभ कर दी।
इसको देखकर महामंत्री को बहुत ही। मन में एक विचार आया कि जिस व्यक्ति ने इस पर 50 बार बार किए थे पर वो हार गया और इसको तोड़ नहीं पाया l इसका मतलब उसने जो कोशिश की थी वह अधूरी की थी यदि वह एक बार और कोशिश करता तो शायद यह पत्थर टूट जाता और एक वह मूर्ति बना पाता। वह 50 सोने की मुद्राओं का हकदार हो जाता।

महामंत्री ने मन में विचार किया यदि जो पहले वाला कारीगर था वह इसको अच्छे से करता एक बार और तो शायद हमको उसको 50 सोने की मुद्राएं देनी पड़ती और वह इसका हकदार होता और उसने यह चीज रास्ते में छोड़ दी तो वह अपने आपको उसने हार मान ली तो वह सोने की मुद्राओं का हकदार नहीं बन पाया।
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है।
दोस्तों हमारी जिंदगी में बहुत सारी ऐसी समय आता है जब हम किसी काम को करते हैं और उसको आधा छोड़ देते हैं। हमें ध्यान रखना है कि किसी भी परिस्थिति में हमें किसी भी काम को अधूरा नहीं छोड़ना है उसका एक बार और कोशिश करनी चाहिए। यदि हम बार-बार कोशिश करेंगे तो एक न एक दिन हम को सफलता जरूर मिलेगी और सफलता के लिए हम हर एक बार और हमेशा प्रयास करें तो हम। हमें इस कहानी से ही शिक्षा मिलती है कि हमने जो प्रयास किया उसको व्यर्थ ना जाने दें और एक बार और प्रयास करें और अपनी कामयाबी को प्राप्त करें।
