ये धारणा अब पुरानी हो गई कि समाज में महिलाओं और पुरुषों के लिये अलग अलग कार्य निर्धारित हैं। आज महिलाएँ किसी क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं हैं, बल्कि कई क्षेत्रों में उन्होंने पुरुषों से भी बेहतर प्रदर्शन करके दिखाया हैं। ऐसा ही कुछ किया हैं किदवई, कानपूर की बेटी विनीता त्रिपाठी ने। सेना में सूबेदार विपिन त्रिपाठी की बेटी, विनीता ने, अफसर बनकर पिता और परिवार का मान बढ़ाया हैं।

सैनिक परिवार से आने वाली विनीता, बचपन से ही आर्मी में जाना चाहती थी। उनके इस सपने को पंख तब मिले जब 12th पास करने के बाद उन्हें एमएनएस (मिलिट्री नर्सिंग सर्विस) में भर्ती मिल गई। इस परिक्षा में हर साल 1 लाख में से सिर्फ 200 लड़कियां ही लिखित परीक्षा और मेडिकल, इंटरव्यू पास कर पाती हैं।

पांच साल की कड़ी मेहनत का मिला परिणाम

एमएनएस में चयन के बाद, विनीता ने पांच साल कड़ी मेहनत कर, अपने कंधों पर अफसर के दो सितारे पाए हैं। उनकी पहली पोस्टिंग बागडोगरा, दार्जिलिंग के 158 बेस हॉस्पीटल में हुई हैं। अपनी पांच साल की ट्रेनिंग के दौरान, विनीता ने स्वयं को सेना के लिया मजबूत बनाया।

यह तो सब जानते हैं, कि सेना की ट्रेनिंग आसान नहीं होती। सेना में भर्ती पाने के लिये किसी भी केडेट को अपनी व्यक्तिगत सीमाओं से बाहर आकर, सर्वोत्तम प्रदर्शन करना होता हैं। शुरूआती दो सालों की ट्रेनिंग के दौरान तो, विनीता अपनी नींद तक पूरी नहीं कर पाती थी। सुबह साड़े चार बजे से उनका प्रशिक्षण प्रारम्भ होता था, और पूरी ट्रेनिंग और पढ़ाई के बाद सोते सोते उन्हें 1 बज जाते थे।

विनीता ने बताया – उन्हें रात में उन्हें सिर्फ 3 घंटे सोने मिलता था, जिसके चलते कई बार वे खड़े खड़े ही सो जाया करती थी। इन सब के बीच होम सिकनेस तब और बढ़ जाती थी, जब कई बार घर वालों से बात करने भी नहीं मिल पाता था। पर इन सब व्यक्तिगत चुनौतियों के बाद, सेना में शामिल होने का गौरव केडेट्स को अपने लक्ष्य की ओर ध्यानरत रखता हैं।

सैनिक परिवार से आती हैं विनीता

विनीता ने बचपन से अपने पिता, चाचा और बड़े भाई को देश के लिये लड़ते देखा हैं। यहीं से उन्हें भी सेना में शामिल होने की प्रेरणा मिली। वे अपने परिवार की पहली लड़की हैं, जो सेना में भर्ती हुई हैं। उनके पिता विपिन कुमार, सेना में सूबेदार हैं, वहीं चाचा विनय कुमार नायब सूबेदार हैं। विनीता के पिता वर्तमान में हिसार में पोस्टेड हैं।

इसके अलावा विनीता के एक चाचा और एक भाई वायु सेना में भी हैं। उनका एक छोटा भाई फिलहाल सैनिक स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रहा हैं औए दूसरा भी सेना में भर्ती होना चाहता हैं। उनका परिवार स्वयं को देश के लिये समर्पित करने की कामना रखता हैं।

बचपन से यही जज़्बा विनीता को यहाँ तक लेकर आया हैं, और भविष्य में उन्हें और ऊँचाइयों तक पहुँचाएगा। उन्होंने सेना में अफसर बनकर अपने परिवार को गौरवान्वित किया हैं। अपनी इस सफलता से वे अन्य लड़कियों को भी प्रेरित करना चाहती हैं।

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