कहते हैं कि शारीरिक आभाव भी किसी भी व्यक्ति को अंदर से झकझोर कर रख देता है बावजूद इसके प्रांजल पाटिल जी ने अपने आत्म बल को कभी गिरने नहीं दिया बल्कि इस बवंडर का पूरे डटकर पूरी ऊर्जा पूरी ताकत ,बल व साहस से किया.

जब 6वीं कक्षा में थी, उनके साथ कुछ ऐसा हादसा हुआ की उनकी एक आंख की रोशनी चली गयी.यह कम नहीं था की अगले वर्ष पता चला कि उनके दूसरे आंख की रोशनी भी चली गई . पर प्रांजल की हिम्मत और हौंसले ने कभी उनका साथ नहीं छोड़ा. आइये देश की पहली महिला नेत्रहीन आईएएस की जिदंगी की चुनौतियों के बारे में करीब से जानते है।।।
बचपन के हुए एक हादसे से इनकी आंखों की ज्योति छिन ली।
बचपन में हुआ यह। हादसा उन्हें आज भी भीतर से हिला कर रख देता है जब वह कक्षा छठवीं में थीं तब उनके क्लास के एक सहपाठी का पेंसिल गलती से उनकी आंखों में चला गया जिससे उनके एक आंख की रोशनी नहीं रहीं इस दुख से उभरी ही नहीं थी की उनको पता लगा की इन्फेक्शन की वजह से उनकी दुसरे आंख की ज्योति भी चली गई हैं। यह सुनना उनके लिए बहुत दुःखी और असहनीय था।।

यह बचपन से ही पढ़ाई में अच्छी रहीं हैं ।उनको बचपन से ही पढ़ने का बहुत शौक था । इस कारण इन्होंने कई सरकारी एग्जाम भी दिए जिनमें वह सफल भी रहीं उन्हें रेलवे में एक पद इसलिए स्थापित नहीं किया गया क्योंकि वह नेत्रहीन व देखने में असहमत हैं. इस कारणउन्हें मिली यह रिजेक्शन ने उनके अंदर एक गुस्सा और बवंडर पैदा कर दिया जिससे उनके अंदर आइएएस अधिकारी बनने की ललक उठीं,, जिसे वह किसी न किसी तरह अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहतीं थीं ।।।
ब्रेल लिपि की सहायता से अपनी पढ़ाई पूरी
इस माध्यम का उपयोग एक नेत्रहीन व्यक्ति ही कर सकता है.उन्हें अपने इस डिसऐबलिटी को अंत में स्विकारना ही पड़ा आखिर क्यों नहीं जीवन भर उन्हें इस तरह ही रहना पड़ेगा व जीवन में किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन के किसी भी कड़वे सच को स्वीकार करना ही पड़ता हैं.उस प्रकार उन्होंने ने भी इसे स्वीकारा और अपने स्कूल व हायर सेकंडरी परीक्षा इस ब्रेल लिपि कि सहायता से ही कि।
क्या है यह ब्रेल लिपि (WHAT IS BRAIL LIPI)
यह पढ़ने की एक पद्धति हैं ,जो केवल नेत्रहीन व्यक्ति को ही समझ आती है, इसका इन्वेंशन एक वैज्ञानिक लुई ब्रेल ने कि थी इसके माध्यम से एक नेत्रहीन व्यक्ति उस उभरी हुई आकृति को स्पर्श कर समझ सकते हैं कि क्या अक्षर हैं यह ब्रेल लिपि कहलाती है। इसके माध्यम से नेत्रहीन व्यक्ति को पढ़ने में आसानी होती हैं।
लुई ब्रेल (4 जनवरी 1809 – 6 जनवरी 1852) फ्रांस के शिक्षाविद तथा अन्वेषक थे जिन्होने अंधों के लिये लिखने तथा पढ़ने की प्रणाली विकसित की। यह पद्धति ‘ब्रेल’ नाम से जगप्रसिद्ध है। … ब्रेल लिपि के निर्माण से नेत्रहीनों की पढ़ने की कठिनाई को मिटाने वाले लुई स्वयम भी नेत्रहीन थे।
महाराष्ट्र के उल्लास नगर निवासी
प्रांजल पाटिल महाराष्ट्र के उल्लास नगर की रहने वाली हैं. वह बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं. पर स्कूल के एक हादसे ने उनकी जिंदगी बदल दी. दरअसल जब वे छठी कक्षा में थीं, उस समय उनकी एक क्लास की स्टूडेंट की पेंसिल गलती से उनकी आंख में लग गयी. इससे उनकी एक आंख की रोशनी चली गयी. प्रांजल को इस घटना से जबरदस्त झटका लगा. प्रांजल अभी इस सदमें से उबर भी नहीं पायी थीं कि एक साल के अंदर उनकी दूसरी आंख की रोशनी भी चली गयी.
इस प्रकार वह बनीं आईएएस अफसर
प्रांजल ने आईएएस परीक्षा देने के पहले और भी कई प्रतियोगी पीरक्षाओं की तैयारी भी की और परीक्षाएं भी दी, लेकिन उनका मन नहीं माना. उनका मकसद कुछ और ही था. उन्होंने आईएएस बनने की ठानी और तन-मन से तैयारियों में जुटी . Result यह हुआ कि पहले ही प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा क्लियर कर ली. लेकिन 2016 की इस परीक्षा में मिलने वाली रैंक से वे संतुष्ट नही थी. इस समय उन्हें 733 रैंक मिली थी और इसके अंतर्गत मिलने वाले पद में उन्हें रुचि नहीं थी.

उन्होंने दोबारा दुसरे साल 2017 में प्रयास किया और 124 वीं रैंक हासिल कर साथ परीक्षा पास कर ली. उन्होंने जो ठान लिया था वह पूरा करके दिखाया. इस समय प्रांजल केरल के तिरुवनंतपुरम जिले में पोस्टेड हैं. व इनकी यह कहानी हमें हर रूप से प्रेरणा देती हैं जिस प्रकार अपने किसी भी प्रकार के आभाव को ओवरकम करना आभाव पन में ही नया रास्ता ढूंढ निकालना यह सबके लिए एक प्रेरणा हैं।।।
आज के इस लेख में हमने आइएएस प्रांजल पाटिल की प्रेरणादायक कहानी सुनी ।।।।