आज के आर्टिकल में हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की सच्ची कहानी है. जिसने विपरीत परिस्थितियों से निकलकर अपनी सोच और जज्बे से अपने सपनों और अपनी मंजिल को हासिल करके आसमान की बुलंदियों को छुआ. ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो निरमा वाशिंग पाउडर के बारे में नहीं जानता होगा . लेकिन आज हम आपको निरमा वाशिंग पाउडर की सफलता की पीछे जिस व्यक्ति का हाँथ है उनका नाम है ‘करसनभाई पटेल’ जिन्होंने जीवन में अपनी बड़ी सोच, मेहनत और लगन से जमीन से उठकर आसमान तक का सफ़र तय किया और पूरी दुनिया में एक मिसाल कायम की चलिए थोड़ा विस्तारपूर्वक जाने है .

करसन भाई पटेल के सफलता की कहानी
करसनभाई पटेल का जन्म एक किसान के परिवार में हुआ था . उनकी शुरुआत की शिक्षा मेहसाना के स्थानीय स्कूल में हुई और फिर 21 वर्ष की आयु में अपनी स्नातक बी.एस.सी केमेस्ट्री से पूर्ण की अपनी स्नातक पूर्ण करने के बाद उन्होंने अहमदाबाद स्थित न्यू कॉटन मिल्स में लैब अस्सिस्टेंट के पद पर अपनी नौकरी करनी शुरू की और उसके कुछ समय बाद ये नौकरी छोड़कर गुजरात सरकार के खनन एवं भूविज्ञान विभाग में नौकरी करनी शुरू कर दी .
करसनभाई पटेल अपनी नौकरी से खुश नही थे और अपना कुछ व्यवसाय करना चाहते थे. इस बीच एक दिन उनके मन में एक ऐसा कपड़े धोने का डिटर्जेंट पाउडर बनाया जाये जो बाज़ार में उपलब्ध अन्य डिटर्जेंट पाउडर और साबुन से सस्ता और उच्च गुणवता का हो. इसके लिए उन्होंने अपनी लैब में प्रयोग शुरू किये और आख़िरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने एक पीले रंग का ऐसा पाउडर तैयार कर लिया जो धुलाई में साबुन से कम नही था और जिसे कम दाम पर बेचा भी जा सकता था.

घर-घर बेचने वाले बने अरबों के मालिक
अहमदाबाद के रहने वाले करसन भाई अपने घर के अहाते में ही निरमा पाउडर बनाने की शुरुआत की. यह काम तब कोई कंपनी नहीं बल्कि एक आदमी कर रहा था तो तो माल तैयार होने के बाद इसे बेचने की दिक्कत थी.करसन भाई ने हिम्मत की और खुद ही अपना माल लेकर लोगों के घर-घर पहुंचाने लगे .उनके माल की लोकप्रियता कैसे बढ़े इसलिए उन्होंने एक तरकीब निकाली. तरकीब यह थी कि वह अब निरमा के हर पैकेट पर कपड़े साफ न होने पर पैसे वापस करने की गारंटी देने लगे.
ब्रांड का नाम अपनी बेटी के नाम पर रखा
ब्रांड का नाम “निरमा (NIRMA ) अपनी बेटी निरुपमा के नाम पर रखा .धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और आख़िरकार वर्ष 1969 में मांग अधिक बढ़ने पर उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और कुछ कर्मचारियों और मशीनों के साथ अहमदाबाद के पास एक छोटी फैक्ट्री शुरू कर दी . उन्होंने बाज़ार में निरमा डिटर्जेंट पाउडर के नाम से अपना पाउडर बेचना शुरू किया .जब सबसे सस्ता वाशिंग पाउडर 13 रुपए प्रति किलो था तब ये अपना पाउडर तीन रुपए प्रति किलो ही बेचा. जैसा कि लोगों की चाह होती है कि उन्हें सस्ती और सबसे अच्छी चीज मिले और करसन भाई का फार्मूला इस चाहत में फिट बैठ गया.अब करसन भाई पटेल का धंधा निकला और एक दिन ऐसा आया जब निरमा देश का जाना पहचाना ब्रांड बन गया.
आज करसन भाई की कंपनी में करबी 14 हजार कर्मचारी हैं.2004 के आंकड़ों के अनुसार, निरमा कंपनी का टर्नओवर 50 करोड़ डॉलर से भी ज्यादा है. जो अब 100 करोड़ डॉलर हो गया होगा.करसनभाई पटेल का नाम वर्ष 2016 में फोर्ब्स पत्रिका में भी आ चुका है जिसके अनुसार उनकी कुल संपत्ति 76 बिलियन डॉलर थी और वो दुनिया के सबसे अमीर लोगों में 1121वें स्थान पर हैं तथा भारत के सबसे अमीर लोगो की लिस्ट में 50 वें स्थान पर थे.