दुनियाभर में कीड़ों की ऐसी कई प्रजातियां हैं, जिन्हें लोग बड़े चाव से खाते हैं, लेकिन आज हम जिस कीड़े के बारे में बताने जा रहे हैं, वो बाकी कीड़ों से बिल्कुल अलग है. अलग इसलिए, क्योंकि इसका इस्तेमाल जड़ी-बूटी की तरह किया जाता है। यह कीड़ा भूरे रंग का होता है. और दो ईंच तक लंबा होता है। इसकी सबसे खास बात कि इसका स्वाद मीठा होता है. यह हिमालयी क्षेत्रों में तीन से पांच हजार मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है.

इसके पैदा होने की कहानी भी बड़ी अजीब है

VIP के पैदा होने की कहानी भी बड़ी अजीब है. यह हिमालयी क्षेत्रों में उगने वाले कुछ खास पौधों से निकलने वाले रस के साथ पैदा होते हैं. इनकी अधिकतम आयु छह महीने ही होती है.अक्सर सर्दियों के मौसम में ये पैदा होते हैं और मई-जून आते-आते ये मर जाते हैं, जिसके बाद लोग इन्हें इकट्ठा करके ले जाते हैं और बाजारों में बेच देते हैं .

दुनिया का सबसे महंगा कीड़ा

हिमालय में एक खास जड़ी बूटी होती है. जिसे हिमालयन वियाग्रा भी कहते हैं. ये ताकत की दवाओं समेत कई काम में इस्तेमाल होती है लेकिन ये दुर्लभ भी है और खासी महंगी भी हालांकि यह बेहद ही दुर्लभ और खासा महंगा भी है. इसके महंगा होने का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं. कि महज एक कीड़ा लगभग 1000 रुपये का मिलता है। वहीं अगर किलो के हिसाब से देखें तो नेपाल में यह 10 लाख रुपये प्रति किलो तक बिकता है. इसी कारण इसे दुनिया का सबसे महंगा कीड़ा कहा जाता है .

एक तरह का जंगली मशरूम

यारशागुंबा को मोटे तौर पर समझें तो ये एक तरह का जंगली मशरूम है जो एक खास कीड़े की इल्लियों यानी कैटरपिलर्स को मारकर उसपर पनपता है। इस जड़ी का वैज्ञानिक नाम है कॉर्डिसेप्स साइनेसिस और जिस कीड़े के कैटरपिलर्स पर ये उगता है उसका नाम है हैपिलस फैब्रिकस। स्थानीय लोग इसे कीड़ा-जड़ी कहते हैं क्योंकि ये आधा कीड़ा है और आधा जड़ी है लेकिन चीन-तिब्बत में इसे यारशागुंबा कहा जाता है। ये जड़ी 3500 मीटर की ऊंचाई वाले इलाकों में पाई जाती है। मई से जुलाई में जब बर्फ पिघलती है तब यह उगता है।”

पहचानना और ढूंढना मुश्किल काम

भारत के कई हिस्सों में, कैटरपिलर कवक का संग्रह कानूनी है, लेकिन इसका व्यापार अवैध है. पहले नेपाल में यह कीड़ा प्रतिबंधित था, लेकिन बाद में इस प्रतिबंध को हटा दिया गया. कहते हैं कि इसका इस्तेमाल जड़ी-बूटी के रूप किया जाता है.यारशागुंबा को ढूंढना और पहचानना बेहद मुश्किल काम है. इसे पाने के लिए दुर्गम इलाकों की ख़ाक छाननी पड़ती है. ये नरम घास के बिल्कुल अंदर छुपा होता है और बड़ी कठिनाई से ही पहचाना जा सकता है.

बेशकीमती जड़ी बूटी के कई फायदे

भारत में ‘कीड़ा जड़ी’ का इस्तेमाल ताकत बढ़ाने की दवाओं समेत कई कामों में होता है. यह रोग प्रतिरक्षक क्षमता को बढ़ाता है और फेफड़े के इलाज में भी यह काफी कारगर है.फेफड़ों और किडनी के इलाज में इसे जीवन रक्षक दवा माना गया है .यौन उत्तेजना बढ़ाने वाले टॉनिक में भी इसका खूब प्रयोग होता है जिसके कारण कुछ लोग इसे हिमालय का वियाग्रा भी कहते हैं. लोगों में यह भ्रांति है कि यारशागुंबा सिर्फ आयुर्वेद का मानना है कि इसका उपयोग सांस और गुर्दे की बीमारी में भी होता है. यह बुढ़ापे को भी बढ़ने से रोकता है तथा शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है.

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