राजस्थान के जैसलमेर में एक ऐसा स्कूल है, जो दुनियाभर से तारीफें बटोर रहा है. स्कूल के डिजाइन से लेकर यहां पढ़ने वाली छात्राओं की यूनिफॉर्म तक, हर एक चीज बेहद ही खास है. जैसलमेर राजपरिवार के अथक प्रयासों से इस स्कूल का निर्माण कार्य सम्भव हो पाया है, जहां बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी. स्कूल का बेहतर पर्यावरण विद्यार्थियों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है. लड़कियों को शिक्षित करने के उद्देश्य से स्कूल बनाने के लिए इस स्थान को चुना गया. आओ जाने क्या खास हैं उसके बारे में

बगैर एयर कंडीशनर ठंडक का अहसास देता स्कूल

राजस्थान के थार रेगिस्तान के केंद्र में स्थित, पीले बलुआ पत्थर से बनी एक स्कूल की इमारत अपनी विशेष  वास्तु कला के साथ स्थिरता की कहानी बयां कर रही है, क्योंकि छात्र यहां बाहर की प्रचंड गर्मी से बचते हुए संरक्षित प्रांगण में बिना किसी चिंता के अध्ययन कर सकते हैं .ऐसे समय में जब राजस्थान में तापमान बढ़ता जा रहा है और यहां गर्म हवा के साथ पूरे दिन रेत उड़ती रहती है.

स्कूल का बेहतर वातावरण सौगात से कम नहीं

स्कूल का बेहतर पर्यावरण विद्यार्थियों के लिए किसी सौगात से कम नहीं है. स्कूल भवन को एक अंडाकार संरचना के साथ में बनाया गया है. भवन के अंदर कोई एयर कंडीशनर नहीं है, मगर यह रेगिस्तानी परिदृश्य में और विपरीत मौसम के दौरान भी राहत प्रदान करता है. यहां खूबसूरत जालीदार दीवार और हवादार छत के साथ ही सौर प्रतिष्ठान एक शानदार वास्तु कला का उदाहरण हैं.

कहां पर है स्थित ज्ञान केंद्र

यह स्कूल भवन जैसलमेर के प्रसिद्ध सैम सैंड टिब्बा से केवल छह मिनट की दूरी पर कानोई गांव में स्थित है. इसे आर्थिक तौर पर मजबूती के साथ ही जैसलमेर के पर्यटन, संस्कृति, शिल्प कौशल और अन्य विशिष्ट पहलुओं को बढ़ावा देने के उद्देश्यों के साथ स्थापित किया गया है. स्कूल ने हालांकि मार्च 2021 में अपना संचालन शुरू करने की योजना बनाई थी, लेकिन यह कोविड-19 महामारी के कारण परिचालन शुरू नहीं कर सका. मगर स्कूल के अद्भुत डिजाइन ने पहले ही लोगों को आकर्षित करना शुरू कर दिया है, जो कि काफी प्रभावशाली दिखाई देता है.

क्या है इसका उद्देश्य

अलाउद्दीन खिलजी की फौज का बहादुरी से सामना करने वाली जैसलमेर की राजकुमारी रत्नावती जी भाटी के नाम पर बनवाया गया “राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल गरीबी रेखा से नीचे की लड़कियों के लिए ऑफर किया जाएगा. यहां की सुविधाओं में कक्षाएं, एक पुस्तकालय, एक कंप्यूटर सेंटर और पड़ोसी गांवों से लड़कियों को लाने के लिए एक बस सुविधा शामिल होगी.’ वेबसाइट में दी गई जानकारी के अनुसार, यहां 400 से अधिक लड़कियों को शिक्षा प्रदान कराने के साथ ही उनका उचित पोषण सुनिश्चित करने के लिए दोपहर के भोजन की व्यवस्था भी होगी. इसका उद्देश्य परिवारों का वित्तीय बोझ कम करते हुए महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है.

डिजाइनरों को एक बेहतरीन मंच प्रदान करेगा

सीआईटीटीए का एक और लक्ष्य महिला सहकारिता के माध्यम से स्कूल में शिक्षा प्राप्त कराने के अलावा माताओं और महिलाओं को जैसलमेर क्षेत्र से बुनाई और कढ़ाई की तकनीक भी सिखाई जाएगी, जिसे स्थानीय लोग अब भूलने की कगार पर हैं. समकालीन डिजाइनरों के साथ जोड़ी गई पारंपरिक तकनीक वैश्विक बाजार के लिए अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन करेगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में विविधता और वृद्धि होगी. इसके अलावा महिला सशक्तीकरण के सिद्धांतों का दृढ़ता से पालन करते हुए स्थापित किया गया ज्ञान केंद्र महिला कलाकारों और डिजाइनरों को एक बेहतरीन मंच प्रदान करेगा.

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