सरोगेसी एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा ऐसे व्यक्तियों को माता-पिता बनने का मौका मिलता है. जो की संतान उत्पन्न करने में असमर्थ होते हैं. या किसी कारणवश संतान उत्पन्न नहीं कर पाते हैं. उन लोगों को माता-पिता बनने का सौभाग्य सरोगेसी के जरिए मिला और अपनी खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं.
हमारे भारत में ऐसी कई दंपत्ति हे जो कि सरोगेसी के माध्यम से संतान प्राप्ति कर पाए हैं. यहां तक कि बॉलीवुड मैं भी कई सितारे सरोगेसी की मदद से पैरेंट्स बन चुके हैं. है.आइए आपको बताते हैं कि आखिर सरोगेसी क्या होती है और भारत में इसके क्या नियम है.
सरोगेसी एक माध्यम है जिसमें बच्चा पैदा करने के लिए एक महिला बच्चा पैदा करने के लिए दूसरी महिला की कोख किराए पर लेती है. तो इस प्रक्रिया को सरोगेसी कहा जाता है. सरोगेसी प्रक्रिया में कोई महिला अपने या फिर डोनर के एग्स के जरिए किसी दूसरे कपल के लिए प्रेग्नेंट होती है.
सरोगेसी के माध्यम से संतान प्राप्त करने के पीछे कई वजह होती है. जैसे कि महिला या पुरुष की मेडिकल से जुड़ी कोई समस्या, स्त्री का गर्भ धारण ना होना, आदि समस्याओं के कारण सरोगेसी के माध्यम से संतान प्राप्त की जाती है
सरोगेसी प्रक्रिया के पहले दोनों महिलाओं के बीच में एक एग्रीमेंट किया जाता है. इसके तहत, प्रेग्नेंसी से पैदा होने वाले बच्चे के कानूनन माता-पिता सरोगेसी कराने वाले कपल ही होते हैं. सरोगेट मां को प्रेग्नेंसी के दौरान अपना ध्यान रखने और मेडिकल जरूरतों के लिए पैसे दिए जाते हैं ताकि वो गर्भावस्था में अपना ख्याल रख सके.
सरोगेसी के दो प्रकार सरोगेसी दो तरह की होती है. एक ट्रेडिशनल सरोगेसी जिसमें होने वाले पिता या डोनर का स्पर्म सरोगेट मदर के एग्स से मैच कराया जाता है. इस सरोगेसी में सरोगेट मदर ही बॉयोलॉजिकल मदर होती है.
दूसरी जेस्टेशनल सरोगेसी जिसमें सरोगेट मदर का बच्चे से संबंध जेनेटिकली नहीं होता है. यानी प्रेग्नेंसी में सरोगेट मदर के एग का इस्तेमाल नहीं होता है. इसमें सरोगेट मदर बच्चे की बायोलॉजिकल मां नहीं होती है. वो सिर्फ बच्चे को जन्म देती है. इसमें होने वाले पिता के स्पर्म और माता के एग्स का मेल या डोनर के स्पर्म और एग्स का मेल टेस्ट ट्यूब कराने के बाद इसे सरोगेट मदर के यूट्रस में प्रत्यारोपित किया जाता है.
भारत में सरोगेसी के दुरुपयोग को रोकने के लिए तमाम नियम तय किए गए हैं. ज्यादातर गरीब महिलाएं आर्थिक दिक्कतों के चलते सरोगेट मदर बनती थीं. सरकार की तरफ से इस तरह की कॉमर्शियल सरोगेसी पर अब लगाम दी गई है. 2019 में ही कॉमर्शियल सरोगेसी पर प्रतिबंध लगाया गया था. जिसके बाद सिर्फ मदद करने के लिए ही सरोगेसी का विकल्प खुला रह गया है.